गणगौर का   इतिहास 

गणगौर राजस्थान एवं सीमावर्ती मध्य प्रदेश का एक त्यौहार है जो चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया (तीज) को आता है।

गणगौर में कुँवारी लड़कियाँ एवं विवाहित महिलाएँ शिवजी (इसर जी) और पार्वती गणगौरजी (गौरी) की पूजा करती हैं।  

गणगौर दो शब्दों का मेल है , गण और गौर. गण शब्द से आशय भगवान शंकर जी से है और गौर शब्द से आशय माँ पार्वती से है. 

इस पर्व में गवरजा और ईसर की बड़ी बहन और जीजाजी के रूप में गीतों के माध्यम से पूजा होती है तथा उन गीतों के बाद अपने परिजनों के नाम लिए जाते हैं। 

गणगौर पर्व होलीका दहन के दूसरे दिन से ही शुरू हो जाता है और 16 दिन तक लगातार मनाया जाता है.

इस पर्व में कुंवारी लड़कियां गणगौर की पूजा कर मनपसंद वर की कामना करती हैं, वहीँ शादीशुदा महिलाएं व्रत रख अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती है. 

माना जाता है कि भगवान शंकर जी ने इस दिन माँ पार्वती जी को अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान दिया था. मां पार्वती ने यही वरदान उन सभी महिलाओं को दिया जो इस दिन मां पार्वती और शंकर जी की पूजा साथ में विधि विधान से करें और व्रत रखें. इसी दिन से गणगौर पर्व शुरू हुआ। 

2022 में यह पर्व 18 मार्च से 2 अप्रैल तक चलेगा।  

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