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गुड़ी  पड़वा या हिन्दू नव वर्ष की शुभकामना शायरी

आई हैं बहारे, नाचे हम और तुम पास आये, खुशियाँ और दूर जाए गम प्रकृति की लीला हैं छाईसभी को दिल से गुड़ी पड़वा की बधाई —————————- 

 नए पत्ते आते है वृक्ष ख़ुशी से झूम जाते हैं ऐसे मौसम में ही तो नया आगाज होता हैं हम यूँही हैप्पी न्यू ईयर नहीं मनातेहिन्दू धर्म में यह त्यौहार प्राकृतिक बदलाव से आते —————————- 

नया दिन, नयी सुबह चलो मनाये एक साथ हैं यह गुडी का पर्वदुआ करे सदा रहे हम साथ साथ———————— 

Karnika Pathak 

शाखों पर सजता नये पत्तो का श्रृंगार मीठे पकवानों की होती चारो तरफ बहार मीठी बोली से करते, सब एक दूजे का दीदारचलो मनाये हिन्दू नव वर्ष इस बार———————— 

Karnika Pathak 

गुड़ी पड़वा की हैं अनेक कथाये गुड़ी ही विजय पताका कहलाये पेड़ पौधों से सजता हैं चैत्र माहइसलिए हिन्दू धर्म में यह नव वर्ष कहलाये———————— 

Karnika Pathak 

बीते पल अब यादों का हिस्सा हैं आगे खुशियों का नया फ़रिश्ता हैं बाहे फैलाये करो नए साल का दीदारआया हैं आया गुड़ी का त्यौहार———————— 

Karnika Pathak 

 ऋतू से बदलता हिन्दू साल नये वर्ष की छाती मौसम में बहार बदलाव दिखता पृकृति में हर तरफऐसे होता हिन्दू नव वर्ष का त्यौहार———————— 

Karnika Pathak 

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