हनुमानजी का जन्म चैत्र माह की पूर्णिमा को “मंगलवार” के दिन हुआ
भक्तों का मंगल करने के लिए श्री राम भक्त हनुमान इस धरती पर अवतरित हुए.
इस कलियुग में विपत्ति को हरने के लिए हनुमानजी की शरण ही सहारा है. हनुमानजी को महावीर, बजरंगबली, मारुती, पवनपुत्र के नाम से भी जाना जाता है.
हनुमान जयंती पूजा विधि
. हनुमानजी की मुर्ति को सिन्दूर लगाया जाता है . हनुमानजी को केवड़ा, चमेली और अम्बर की महक प्रिय है इसलिए इन महक वाली ही लगाना चाहिए, . मंत्र का जाप कम से कम 5 बार या 5 के गुणांक में करना चाहिए. . “मंगलवार” को हनुमानजी की पूजा करने का विशेष महत्त्व है. . भक्तगण इन दिनों में हनुमान चालीसा, सुंदरकांड आदि का पाठ करते हैं
जन्म के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं
. हनुमानजी केसरी तथा अंजना के पुत्र थे. इन्हे अंजनीपुत्र तथा केसरीनन्दन भी कहा जाता है . हिन्दू माह चैत्र की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को श्री राम भक्त हनुमानजी ने जन्म लिया. . जिस दिन हनुमानजी का जन्म हुआ, उस दिन को हनुमान भक्त “हनुमान जयंती“ के उपलक्ष्य में मनाते हैं. . दक्षिण भारत में हनुमानजी का जन्म “मरघजी” माह के मूल नक्षत्र में होना बताया गया है. . महाराष्ट्र में हनुमान जयन्ती चैत्र माह की पूर्णिमा को ही मनाई जाती है.
हिन्दू धर्म में हनुमान जयंती बड़ा ही धार्मिक पर्व है. इसे बड़ी ही श्रद्धा एवं आस्था के साथ मनाया जाता है.
इस दिन मंदिरों में सुबह से ही प्रसाद वितरण का कार्यक्रम शुरू हो जाता है. प्रत्येक मंदिर में भक्तों का ताँता लगा रहता है.
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