मजदूर दिवस श्रमिकों की उपलब्धियों का जश्न मनाने और श्रमिकों के शोषण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है।
मजदूर वह ईकाई हैं, जो हर सफलता का अभिन्न अंग हैं, फिर चाहे वो ईंट गारे में सना इन्सान हो या ऑफिस की फाइल्स के बोझ तले दबा एक कर्मचारी.
1889 में माकर्सवादी इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस ने एक महान अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन के लिए एक संकल्प अपनाया था जिसमें उन्होंने मांग की कि श्रमिकों को दिन में 8 घंटे से अधिक काम करने के लिए नहीं बनाया जाना चाहिए।
इसके बाद से यह एक वार्षिक कार्यक्रम बन गया और 1 मई को मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
मजदूर दिवस को पहली बार भारत में मद्रास (जो अब चेन्नई है) में 1 मई 1923 को मनाया गया था, इसकी शुरुआत लेबर किसान पार्टी ऑफ़ हिंदूस्तान ने की थी.
श्रमिक दिवस को ना सिर्फ भारत में बल्कि पुरे विश्व में एक विरोध के रूप में मनाया जाता है. ऐसा तब होता है जब कामकाजी पुरुष व् महिला अपने अधिकारों व् हित की रक्षा के लिए सड़क पर उतरकर जुलुस निकालते है
इस दिन मजदूर वर्ग तरह तरह की रेलियां निकालते व् प्रदर्शन करते है.
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