श्री आदि शंकराचार्य या आदि शंकराचार्य को हिंदू धर्म में सबसे प्रमुख और महान दार्शनिकों में से एक माना जाता है। उन्हें वैदिक धर्म का रक्षक और अद्वैत वेदांत का प्रतिपादक कहा जाता था।
शंकराचार्य जयंती को सनातन धर्म में सबसे पवित्र और धार्मिक उत्सवों में से एक माना जाता है। यह दिन आदि शंकराचार्य के जन्म का प्रतीक है, जिन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है।
उन्हें जगद्गुरु के रूप में जाना जाता है जिन्होंने वैदिक ज्ञान का प्रचार किया।
हिंदू पंचांग के अनुसार, शुक्ल पक्ष के दौरान वैशाख के हिंदू महीने में पंचमी तिथि, यानी पांचवें दिन शंकराचार्य जयंती मनाई जाती है
महत्व
. आदि शंकराचार्य ने सभी को अद्वैत वेदांत के विश्वास और दर्शन के बारे में पढ़ाया था।
. सभी को उपनिषद, भगवद गीता और ब्रह्मसूत्रों के प्राथमिक सिद्धांतों को सिखाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।
. उन्होंने हिंदू धर्म को पुनर्जीवित करने के लिए विभिन्न देशों की यात्रा की।
. उन्होंने देश के चार अलग-अलग कोनों में चार मठों की स्थापना की अर्थात् दक्षिण में श्रृंगेरी, उत्तर में कश्मीर, पूर्व में पुरी और पश्चिम में द्वारका।
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