सीख लो जिंदगी अमर करना (Poetry) 

सीख लो ज़िन्दगी अमर करना  प्यार के बीज को शजर करना 

काम ये सख़्त है मगर  करना  अपनी हस्ती को मोतबर करना

रुख़ हवाओं का भाँपकर करना  आसमानों पे जब सफ़र करना

इश्क़ गूँगा है, जबकि ख़्वाहिश थी  उसकी आवाज़ पे सफ़र करना

एक दिन ग़म हमें सिखा देगा  अपने अल्फ़ाज़ में असर करना 

तीर खाये हैं सब कलेजे पर  हमने सीखा नहीं मफ़र करना

नाख़ुदा पार भी उतारेगा  बीच में मत अगर मगर करना

सीख जाएंगे हम मुहब्बत में  आँसुओं में गुज़र बसर करना

रात भी है तो उसकी मर्ज़ी से  जिसके हाथों में है सहर करना

तीर वापस कभी नहीं आता  जो भी करना वो सोचकर करना

"प्रेम" रहता है जिस बुलन्दी पर  उस बुलन्दी को तुम भी सर करना

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