क्या 1947 की आजादी भीख में मिली थी, कंगना रानौत बयान, विवाद (Kangna Ranout’s Statement ‘1947’s Independence was Given in Alms’), Controversy
अभिनेत्री कंगना रनौत का विवादों से एक गहरा नाता है। अपनी बेबाकी से कंगना विवादों और आलोचनाओं को न्योता दे देती हैं। हाल ही में दिए गए अपने एक विवादास्पद बयान को ले कर कंगना फिर से सुर्खियों में बनी हुई है। अभिनेत्री कंगना रनौत का मानना है कि सन 1947 में मिली आज़ादी किसी भीख से कम नहीं थी। कंगना के इस बयान को ले कर राजनेताओं से ले कर बॉलीवुड की कई नामचीन हस्तियों ने भी कंगना के विरोध में अपने विचार साझा किए और कंगना को उनकी कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। हमारे इस आर्टिकल में आज बात की जाएगी सन 1947 में मिली आज़ादी और इससे जुड़े अन्य परिप्रेक्ष्यों की। तो आर्टिकल को पूरा पढ़िए और जानिए आजादी को ले कर दिया गया अभिनेत्री कंगना रनौत का बयान कितना तर्कसंगत है।
भारत की आज़ादी (India’s Independence)
भारत को ब्रितानी हुकूमत के अधीन करीब दो सौ साल रहना पड़ा था। भारत की जनता के अथक परिश्रम और बलिदान के फलस्वरूप सन पंद्रह अगस्त, 1947 को आज़ादी मिली थी। पर आज़ादी के साथ साथ भारत के दामन में बंटवारे का दर्द भी आया था जिसके कारण असंख्य मासूमों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
पर आज भी उस आज़ादी पर सवाल क्यूं उठते हैं, ये एक बड़ा प्रश्न है। असल में ब्रिटिश हुकूमत द्वारा लाए गए गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट, 1947 में आज़ादी शब्द का प्रयोग कही नही मिलता है। इसमें भारत को दो डोमिनियन के तौर पर बांटने जैसे प्रस्ताव का उल्लेख है। गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1947 के चैप्टर तीस में इस तथ्य को आसानी से पढ़ा जा सकता है। इसलिए कभी कभी कुछ बुद्धिजीवी 15 अगस्त को आजादी का दिन ना मान कर ट्रांसफर ऑफ़ पावर के तौर पर देखना उचित मानते हैं।
गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट,1947 (Government of India Act, 1947)
- गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1947 दो स्वतंत्र डोमिनियंस के अस्तित्व की बात करता है।
- बंगाल और पंजाब के प्रोविंसेज का विभाजन किया गया, जिससे एक नए देश का निर्माण हुआ।
- फिर लॉर्ड माउंटबेटन को गवर्नर जनरल और जवाहरलाल नेहरू को पहला प्रधानमंत्री घोषित किया गया।
क्या आज़ादी एक भीख थी (Kangna’s Statement)
भीख जैसे कटु शब्द का प्रयोग तर्कसंगत नहीं जान पड़ता है किंतु कंगना के पहले भी कांग्रेस और भीख को साथ साथ रख कर बयान दिए गए हैं।जैसे अरबिंदो घोष ने कांग्रेस को भीख मांगनेवाली एक संस्था कहा था। इनके अलावा गरम दल के नेता जैसे बाल गंगाधर तिलक आदि को भी कांग्रेस में नरम दल के नेताओं द्वारा अपनाई गई प्रेयर एंड पेटिशन की पॉलिसी रास नहीं आती थी।पर आज़ादी के साथ भीख को जोड़ना न्यायोचित प्रतीत नहीं होता है क्योंकि आज़ादी केवल एक संस्था या व्यक्ति विशेष की सफलता नहीं है, अपितु इसमें असंख्य देश प्रेमियों का योगदान निहित है।
कंगना के बयान पर प्रतिक्रिया (Kangna’s Statement Controversy)
अभिनेत्री कंगना रनौत के बयान पर मिली जुली प्रतिक्रिया सामने आई है। कुछ ने उन पर देशद्रोह का मामला चलाने की बात की तो कुछ ने उन्हें पागल तक कह डाला। वहीं कुछ उनका समर्थन कर रहे हैं क्योंकि गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1947 में स्पष्टरूप से स्वतंत्रता शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है। पर भीख शब्द के प्रयोग पर किसी का खुल के समर्थन नही देखा गया है।
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