क्या है मेघालय की फ्लाइंग बोट, क्या कहा प्रधानमंत्री ने ( What is Meghalaya’s Flying Boat, PM on Meghalaya’s Flying Boat)
हाल में भारत के राज्य मेघालय से एक फ्लाइंग बोट की तस्वीर वायरल हो रही थी। तस्वीर देखने वाले ये पता नही लगा पा रहे थे कि ये नाव पानी पर चल रही या हवा में है। इसका कारण ये था कि नाव जिस नदी पर चलती मालूम हो रही थी उसका पानी बिल्कुल पारदर्शी दिख रहा था। आज जब जल प्रदूषण एक बड़ी समस्या बन चुका है और गंगा, यमुना सहित तमाम नदियों के संरक्षण हेतु संघर्ष किया जा रहा है तो ऐसे स्वच्छ जलाशय का उपलब्ध होना किसी आश्चर्य से कम नहीं है।मेघालय की फ्लाइंग बोट और उससे जुड़ी नदी का ज़िक्र प्रधानमंत्री के रेडियो कार्यक्रम मन की बात में भी आया है। तो चलिए, इस आर्टिकल के माध्यम से जानते हैं, मेघालय की फ्लाइंग बोट का रहस्य और इससे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य।
क्या है मेघालय की फ्लाइंग बोट ( What is Meghalaya’s Flying Boat)
मेघालय के दावकी कस्बे में उमनगोट नदी बहती है। इस नदी को देश की सबसे साफ नदी होने का गौरव प्राप्त है। यहां रह रहे आदिवासी इस नदी और इससे जुड़े संसाधनों को पहाड़ में छिपे स्वर्ग के रूप में देखते हैं। उमनगोट दावकी, शेनांगडेंग और दारांग से बहती है। इन कस्बों के लोग उमनगोट की साफ सफाई को अपनी जिम्मेदारी मानते हैं। यहां गंदगी फैलानेवालो को पांच हजार रूपये तक का जुर्माना लगता है।
इन्ही गांव वालो की जागरूकता और रख रखाव का असर ये है कि उमनगोट नदी का पानी आज भी शीशे की तरह साफ है। सोशल मीडिया पर इस नदी पर तैरती नाव को देख कर लोगो को काफी आश्चर्य हुआ। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानों ये नाव हवा में तैर रही हो। ये स्थानीय लोगो की सूझबूझ और प्रकृति के प्रति उनके समर्पण का ही फल है जिसके चलते प्राकृतिक संसाधन आज भी अपने वास्तविक रूप में पाए जा रहे हैं।
मेघालय की इस नदी का उदाहरण देश भर में किसी प्रेरणा से कम नहीं है। उमनगोट नदी की स्थिति से ये कहा जा सकता है कि अगर नागरिक प्राकृत संसाधनों के प्रति जागरूक होंगे, तो टूरिज्म या इकोनॉमिक डेवलपमेंट के बावजूद प्रकृति का संरक्षण संभव है।
प्रधानमंत्री ने क्या कहा फ्लाइंग बोट के बारे में ( PM on Meghalaya’s Flying Boat)
अपने मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने बताया की उन्होंने भी सोशल मीडिया पर मेघालय की फ्लाइंग बोट को देखा है। उस स्थल की सुंदरता ने उनका ध्यान भी आकर्षित किया है। प्रधानमंत्री ने उमनगोट नदी के आसपास रह रहे निवासियों द्वारा किए गए सराहनीय प्रयास को देश भर के लिए एक प्रेरणा की तरह बताया है।