कृषि कानून बिल क्या है, फायदे, नुकसान, वापसी का अहम फैसला (Krishi Kanoon Kya hai, Bill, Law, Latest News in Hindi)
19 नवंबर की सुबह भारत के प्रधानमंत्री ने कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला देशवासियों से साझा किया।केंद्र सरकार द्वारा लिया गया ये एक बड़ा और अहम फैसला है। इस तरह की घोषणा देशवासियों के लिए आश्चर्य का विषय बन गई और राजनीतिक गलियारों में भी माहौल गरमाने लगा है। कई बड़े राजनेताओं और किसान नेताओं की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। वहीं प्रधानमंत्री ने बताया है कि महीने के अंत में शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में तीनों कृषि कानूनों को वापिस लेने की प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा। तो आइए इस आर्टिकल के ज़रिए जानें कृषि कानूनों से संबंधित जानकारियों को। साथ ही यहां सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले पर भी चर्चा की जाएगी।
कृषि कानून मसला (Krishi Kanoon)
पिछले वर्ष 17 दिसंबर ( 2020) को तीन कृषि कानून लाई गए थे। कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य विधेयक,2020 में सरकार का कहना था कि वो किसानों की उपज को उचित तरीके से बिकवाने के लिए विकल्प में इजाफा करना चाहती है। सरकार का ये कानून किसानों को एपीएमसी मंडियों के अलावा भी ऊंचे दामों पर उपज बेचने के अवसर देने वाली थी। इसके अंतर्गत कॉरपोरेट खरीदारों को भी छूट दी गई थी। वो बगैर रजिस्ट्रेशन और कानूनी शिकंजे के किसानों की उपज को खरीद सकते थे।
किसानों को ये डर था कि ऐसे कानूनों के व्यवहार में आने से एपीएमसी मंडियों का महत्व खत्म हो जाएगा। उनका मानना था कि इस लिहाज से सरकार बाजारों में दखल भी नही दे पाएगी। कानून के विरोधियों का ये भी मानना था कि एपीएमसी में होनेवाले सुधारों पर भी ठीक से चर्चा नहीं की गई थी।सरकार का ये प्रस्ताव था कि इस क्षेत्र में प्राइवेट प्लेयर्स के आने से फायदा होगा पर जिन राज्यों ने सरकारी मंडी व्यवस्था का अंत किया था वहां कोई खास सुधार देखने को नहीं मिला था।हालांकि देश के हर किसान को इन कानूनों से समस्या नहीं थी। कुछ जानकारों ने भी इन नए कानूनों का महत्व बताया था पर किसानों के कुछ वर्गो को अपनी दलीलें नहीं समझा पाने पर, सरकार ने कानूनों को निरस्त करने का निर्णय लिया है।
कृषि कानून वापसी का अहम फैसला (Krishi Kanoon Latest News in Hindi)
कृषि कानूनों के हटाने की घोषणा के साथ प्रधानमंत्री ने किसानों को आंदोलन खत्म करने की बात की है।उनका मानना है कि किसानों को अब वापिस लौट जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने ये भी कहा है कि वो किसानों से माफी मांगते हैं कि वो ये बात किसानों को समझा नहीं पाए। प्रधानमंत्री के ऐसे वक्तव्य के बाद राजनीतिक गलियारा गरमा चुका है। आपको बता दे कि अपने 17 मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री ने करीबन 37 दफे किसानों का जिक्र किया है।
अब आनेवाले संसद सत्र में इस कानून को निरस्त कर दिया जाएगा।अपने भाषण के माध्यम से प्रधानमंत्री ने ये भी बताया कि सरकार आगे भी किसानों के विकास के लिए कार्य करती रहेगी।प्रधानमंत्री की इस घोषणा से किसानों और सरकार के बीच हुआ डेडलॉक खत्म होगा। दिल्ली के बॉर्डर्स पर विरोध के खत्म होने की भी संभावना है।
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