स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जीवन परिचय| Swami Swaroopanand Saraswati Biography in Hindi (death, age)

स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जीवनी, जीवन परिचय [पूरा नाम, जन्म तारीख, मृत्यु, पिता, माता, पत्नी, उम्र, शिक्षा, विवाद, स्वतंत्रता संग्राम, संपत्ति, चार मठ, विचार] Swami Swaroopanand Saraswati Biography in hindi [date of birth, education, political career, age, death date, father, mother, controversy, facts, four math, history, latest news, aashram]

द्वारका और शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का 99 साल की उम्र में 11 सितंबर को निधन हो गया। उन्होंने अपनी अंतिम सांस मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले में ली। उससे पहले आपको याद होगा कि, उन्होंने अपना 99वां जन्मदिन मनाया था। जिसमें कई बड़ी हस्तियों ने शिरकत की थी। तभी उनकी भेट सबसे हुई थी। उसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। जिसके बाद उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया। आज हम उनके जीवन से जुड़े कुछ अहम पहलू आपके सामने रखेंगे। जिसको आप भी ध्यान से पढ़कर जान सकते हैं। आखिर कैसे थे स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती।Swami Swaroopanand Saraswati Biography

स्वामी स्वरूपानंद जीवनी  [Swami Swaroopanand Saraswati Biography]

नाम [Name] शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती
जन्म [Date of Birth] 2 सितंबर 1924
जन्म स्थान [Birth Place] दिघोरी गांव, सिवनी जिला (मध्य प्रदेश)
निधन [Death] 11 सितंबर 2022
उम्र [Age] 99 साल
मृत्यृ स्थान [Death Place] मध्य प्रदेश
पिता का नाम [Father name] श्री धनपति उपाध्याय
माता का नाम [Mother name] गिरजा देवी
धर्म [Relegion] हिंदू
राष्ट्रीयता [Nationality] भारतीय

 

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का शुरूआती जीवन [Early Life]

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म 2 सिंतबर 1924 को मध्य प्रदेश राज्य के सिवनी जिले में हुआ। वह ब्राह्मण परिवार में जन्म थे। उनके पिता श्री धनपति उपाध्याय और माता गिरिजा देवी थी। उनके माता-पिता ने उनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा था। जब वो नौ साल के थे, तभी उन्होंने अपना घर छोड़कर धर्म के मार्ग पर अपना पहला कदम उठाया था।

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की शिक्षा [Education]

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जब छोटे थे। तभी घर से अलग हो गए थे। जिसके बाद वो काशी पहुंचे यहां से उन्होंने ब्रह्मालीन श्री स्वामी करपात्री महाराज वेद-विदांग शास्त्रों की शिक्षा प्राप्त की। जिसके बाद 1950 में ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती से दण्ड-सन्यास की दीक्षा ली। तबसे ही वो शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के नाम से पहचाने जाने लगे।

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान

भारत को अंग्रेजों से मुक्त कराने के लिए शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने अपना अहम योगदान दिया था। वो भी उन स्वतंत्रता संग्रामी में से एक थे। साल 1942 में उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया था। जिसमें उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उस समय वो महज 19 साल के थे। इस दौरान उन्होंने काशी हिंदू विश्वविधालय के सत्याग्रही छात्रों के साथ रक्षार्थ योजना बनाकर अभियोग चलाया। जिसके बाद उन्होंने मध्य प्रदेश में 6 महीने जेल की सजा काटी।

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कौन से चार मठ की स्थापना 

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने चार मठ की स्थापना की पहला गुजरात के द्वारका धाम में स्थित है। द्वारका मठ को ही शारदा मठ कहते हैं। श्रृंगेरी मठ, यह मठ भारत के दक्षिण में स्थित रामेश्वरम में स्थापित है। गोवर्धन मठ है, जो उड़ीसा के पुरी में स्थित है। तीसरा ज्योतिर्मफ है, जो उत्तराखंड के बद्रीकाश्रम में स्थित है।

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के विरोध [Swami Swaroopanand Saraswati Controversy]

  • शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी ने सांई बाबा की पूजा का हमेशा विरोध किया है। उनका कहना था कि, इसके जरिए हिंदू दिशाहीन रहे हैं।
  • शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के अनुसार इस्कॉन भारत में आकर कृष्ण भक्ति के रूप में धर्म परिवर्तन और पैसे हासिल कर रहा है। ये सब अंग्रेजो की कूटनीति का हिस्सा है।
  • उन्होंने कांग्रेस पर भी जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करने का आरोप लगाया है। उनके मुताबिक लगाताक हिंदूओं की आबादी घटती जा रही है।
  • राम मंदिर को लेकर एक बड़ा बयान दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि, राम मंदिर को महापुरूष मानने वाले लोग मंदिर नहीं बनाते।
  • नमामि गंगे प्रोजेक्ट को लेकर कहा था कि, केवल प्रोजेक्ट बनाने से कुछ नहीं होगा। इसपर काम भी करना होगा।
  • साल 2015 में उन्होंने आगरा के ताजमहल के नीचे शिवलिंग होने का दावा किया था।

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के विचार और जागरूकता

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने हमेशा से ही हिंदूओं को जागरूक किया है। उनका कहना था कि, हिंदूओं की संख्या कम हो रही है। धर्म के नाम पर उनकी हत्या की जा रही है। उन्होंने इसके लिए कई अभियान की भी शुरूआत की थी। जिसमें कई लोगों को जोड़ा गया था।

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की संपत्ति [Swami Swaroopanand Saraswati Property]

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की संपत्ति की जानकारी किसी के पास सही तौर पर साझा नहीं है।

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की मृत्यृ [Swami Swaroopanand Saraswati Death]

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की मृत्यृ 11 सितंबर 2022 को मध्य प्रदेश में हुई। उनके निधन के की खबर के बाद हर किसी ने सोशल मीडिया के जरिए शोक प्रकट किया। इसी के साथ उनके अनुभवो को भी शेयर किया।

FAQ

Q- शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वतीका जन्म कब हुआ?

Ans- शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म 2 सितंबर 1924 को हुआ।

Q- शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कब छोड़ा सन्यास के लिए घर?

Ans- शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने 9 साल की उम्र में साधवी बनने के लिए छोड़ा घर।

Q- शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती किस बात का करते थे विरोध?

Ans- शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती धर्म परिवर्तन का करते थे विरोध।

Q- शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की कितनी संपत्ति थी?

Ans- इसके बारे में सही जानकारी किसी को नहीं है।

Q- शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की मृत्यृ कब हुई?

Ans- शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की मृत्यृ 11 सितंबर 2022 को मध्य प्रदेश में हुई।

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