रक्षाबंधन का त्यौहार कब और क्यों मनाया जाता है

रक्षाबंधन का त्यौहार 2019, कब, कैसे और क्यों मनाया जाता है, महत्व एवं गाने (Raksha bandhan (Rakhi) Festival 2019 Date, When, Why and How to Celebrate, Importance and Songs in Hindi) 

भगवान द्वारा निर्मित इस धरती पर बहुत से रिश्ते बनाए गए हैं लेकिन उन सब से परे और अनोखा रिश्ता है भाई और बहन का रिश्ता. वैसे तो पूरी दुनिया में भाई और बहन के रिश्ते को एक अलग नजरिए से देखा जाता है और जब भारत देश की बात आती है तो यहां पर भाई और बहन के नाम से जाना जाने वाला त्योहार रक्षा बंधन याद आता है. यह त्यौहार आमतौर पर भारत और नेपाल देशों में मनाया जाता है जो भाई-बहन के बीच प्रेम का प्रतीक है.  रक्षाबंधन का पवित्र त्यौहार हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है और यह प्रति वर्ष श्रावण मास की हिंदू लूनी-सौर कैलेंडर की पूर्णिमा को मनाया जाता है. जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक वर्ष अगस्त के महीने में आता है.

रक्षाबंधन का अर्थ (Rakshabandhan Meaning)

संस्कृत के 2 अनोखे शब्दों के मेल से बना हुआ रक्षाबंधन के त्यौहार का सरल शब्दों में अर्थ बताया जाता है. यदि इन शब्दों को अलग किया जाए तो रक्षा का अर्थ होता है रक्षा करना, और बंधन का अर्थ होता है बांधना. यदि संपूर्ण अर्थ देखा जाए तो रक्षाबंधन का त्यौहार एक ऐसा त्यौहार है जिसमें एक बहन अपने भाई को रक्षा के प्रतीक कच्चे डोर को सूत के रूप में कलाई पर बांधती है. जिसके बदले मैं वह आज अपने भाई से वचन लेती है जीवन रक्षा के लिए और साथ ही साथ शुभकामनाएं भी.

रक्षाबंधन का त्यौहार 2019 में कब मनाया जाना है (When Rakshabandhan Festival is Celebrate in 2019)

इस साल 2019 में हमारा स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन एक साथ मनाए जाएंगे और यह काफी बड़ा सौभाग्य है हमारा. तकरीबन 20 सालों बाद ऐसा हो रहा है कि स्वतंत्रता दिवस यानी कि हमारी आजादी और भाई बहन का यह अटूट रिश्ता रक्षाबंधन दोनों एक साथ एक ही दिन आ रहे हैं.

रक्षाबंधन त्योहार से जुड़ी कुछ पौराणिक कथाएं (Rakshabandhan Festival Related Some Methodology)

हमारे पुराणों के अनुसार रक्षाबंधन से जुड़ी कई सारी पौराणिक कथाएं हैं जिनको रक्षाबंधन के त्यौहार से जोड़कर देखा जाता है. अब कौन सी कहानी सत्य है और कौन सी नहीं इस बात का पता तो आज तक कोई भी नहीं लगा पाया है लेकिन हम आपके लिए सभी प्रचलित कहानियों का संक्षिप्त रूप यहां लेकर आए हैं. तो जान लेते हैं कुछ पौराणिक कथाओं के बारे में जिनका संबंध रक्षाबंधन के त्यौहार से है.

  1. इंद्रदेव और उनकी पत्नी साक्षी :- राखी के त्यौहार की एक पौराणिक कथा इंद्रदेव और उनकी पत्नी साक्षी के बीच भी बताई जाती है. इसके अनुसार हमारे पुराणों में यह बताया गया है कि एक समय पर देवताओं और असुरों के बीच में होने वाले युद्ध के दौरान जब इंद्रदेव की हार होती नजर आने लगी. इंद्र देव की पत्नी साक्षी भगवान विष्णु की बहुत बड़ी भक्त थी भगवान विष्णु के पास मदद के लिए गई. उस समय राजा बलि के साथ इंद्र देव का युद्ध चल रहा था. भगवान विष्णु ने इंद्र देव की रक्षा हेतु उनकी पत्नी साक्षी को एक कच्चा सूत दिया जो बहुत पवित्र धागा था. साक्षी ने यह धागा इंद्रदेव की कलाई पर बांधा जिसके बाद उनकी इस युद्ध में विजय हुई और अमरावती पर उनका अधिकार हुआ.
  2. राजा बलि और महालक्ष्मी :- यह कथा उस समय की बताई जाती है जब भगवान विष्णु ने राजा बलि को युद्ध में हरा दिया था. उन्होंने उसको युद्ध में हराकर तीनों लोकों पर अपना कब्जा कर लिया था. विष्णु पुराण और भगवत पुराण के अनुसार इस कथा में यह बताया गया था कि युद्ध में हारने के बाद राजा बलि ने भगवान विष्णु से आग्रह किया कि वे उनके महल में ही विराजमान रहे. परंतु मां लक्ष्मी को राजा बलि और भगवान विष्णु की यह मित्रता बिल्कुल भी नहीं भाई थी. ऐसे में महालक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधकर अपना भाई बना लिया और उनसे वादा लिया, कि वह भगवान विष्णु को अपने इस वचन से हमेशा हमेशा के लिए मुक्त कर दें कि वह उनके महल में न रहे और हमें बैकुंठ जाने दे. राजा बलि ने उनकी यह बात मान ली और भगवान विष्णु को बैकुंठ जाने दिया.
  3. संतोषी मां की पौराणिक कथा :- रक्षाबंधन के त्यौहार से संतोषी माता की पुरानी कथा जुड़ी हुई है .इस कथा के अनुसार भगवान विष्णु के दो पुत्र हुए जिनका नाम मन में था और भागी था.भगवान विष्णु के इन दोनों पुत्रों के अलावा कोई और पुत्री नहीं थी जिस कारण दोनों भाई रक्षाबंधन का पावन अवसर नहीं मना पाते थे.ऐसे में भगवान विष्णु ने भगवान गणेश से आग्रह किया और भगवान गणेश के आग्रह से संतोषी माता प्रकट हुई. भगवान गणेश की कृपा से संतोषी माता ने भगवान विष्णु के दोनों पुत्रों के साथ रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया.
  4. कृष्ण और द्रौपदी की कहानी :- महाभारत के बारे में तो आप सब जानते ही होंगे. महाभारत के काल के समय भी भगवान कृष्ण और द्रौपदी ने रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया था. द्रौपदी ने भगवान श्री कृष्ण को रक्षा हेतु कलाई पर राखी बांधकर रक्षा बंधन बनाया था. युद्ध के समय कुंती ने भी अपने पोत्र की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उनके साथ रक्षाबंधन का पवित्र त्योहार मनाया था.
  5. यम और यमुना की कहानी :- पौराणिक कथाओं के अनुसार यह भी बताया जाता है कि बहुत लंबे समय से जब माता यमुना से भगवान यम नहीं मिलने आए थे तो माता यमुना बेहद दुखी हो गई थी. उन्होंने इस बात के बारे में माता गंगा को बताया जिसके बाद माता गंगा ने उनकी यह सूचना यमदेव तक पहुंचाई. करीब 12 वर्ष बाद जब यम देवता यमुना माता से मिलने आए तो उन्होंने विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाकर उनके साथ खूब हर्षोल्लास के साथ अपनी खुशी प्रकट की. जिसके बाद उन्होंने कच्चे सूत के रूप में उन्हें रक्षा बंधन का पवित्र धागा भी बांधा और उन्होंने उनका प्रेमभाव देखने के बाद इच्छावर मांगने के लिए कहा. माता यमुना ने उनसे यही मांगा कि मेरा भाई जल्द ही मेरे पास लौट कर आता रहे.
  6. रानी कर्णावती और हुमायूँ :- भारतीय इतिहास इतना लंबा चौड़ा है कि उसमें क्या-क्या कब कब हुआ उसके बारे में जानना और उसे समझना काफी मुश्किल है, लेकिन एक ऐसा किस्सा है जो की रानी कर्णावती और मुगल शासक हुमायूं से संबंधित है. यह बात सन 1535 की है जब चित्तौड़ की रानी कर्णावती को यह लगने लगा कि सुल्तान बहादुर शाह अब उन पर हमला करने वाला है और उससे साम्राज्य को खतरा है तब उन्होंने मुगल शासक हुमायूं को एक चिट्ठी भेजी. उस चिट्ठी में रानी कर्णावती ने मुगल शासक हुमायूं को राखी भेजी थी और एक बहन के रिश्ते से उनसे मदद मांगी. हालांकि यह बात उस समय हिंदू और मुसलमानों के रिश्ते को लेकर आज भी काफी चर्चा में है क्योंकि कुछ लोग इससे इत्तेफाक रखते हैं और कुछ लोग नहीं. लेकिन रानी कर्णावती का मुगलसराय रक्षाबंधन का सबसे बड़ा और अच्छा किस्सा है.

रक्षाबंधन का त्यौहार कैसे और क्यों मनाया जाता है (Why and How to Celebrate Rakshabandhan Festival)

भाई और बहन का यह अटूट रिश्ता रक्षाबंधन पूरे देश में एक ही दिन और एक साथ मिलकर हर घर में मनाया जाता है. यह बहन का अपने भाई के लिए लंबी उम्र और भाई का अपनी बहन के लिए सारी उम्र उसकी रक्षा करने का वादा होता हैं. इसलिए इसे लोग इस त्यौहार को मनाते हैं. इसे वे निम्न तरीके से मनाते हैं.

  1. सबसे पहले रक्षाबंधन के पावन अवसर पर आप सुबह जल्दी उठिए और सुबह जल्दी स्नान करके तैयार हो जाइए नए कपड़े पहनकर.
  2. रक्षाबंधन से 1 दिन पहले बहन अपने भाई के लिए बाजार से जो पसंद करके राखी लेकर आई होती हैं उसे एक अच्छी सी पूजा की थाली में रखें.
  3. अब बहन अपने भाई को अपने सामने बैठा कर उसके दाहिने हाथ पर राखी बांधती है और उसकी आरती उतारी है और फिर अपनी पसंदीदा मिठाई अपने भाई को खिलाती है.
  4. अपनी प्यारी सी लाडली बहन के लिए भैया भी जो भी उपहार लाये हैं वह अपनी बहना को दे दीजिए और अपनी बहन को भी मिठाई खिलाइए.
  5. रक्षाबंधन के इस पावन अवसर पर भैया द्वारा अपनी बहन के लिए लाया गया कोई सा भी उपहार बहन के लिए शुभकामनाएं होती हैं और बहनों के लिए अपने भैया को राखी बांधते हुए वे भी शुभकामनाएं देती हैं.

इस प्रकार बड़े ही हर्षोल्लास और खुशी के साथ इस भाई-बहन के अटूट रिश्ते रक्षाबंधन को मनाया जाता है. आप भी अपनी प्यारी बहनों के लिए उपहार सोच लीजिए कि उन्हें इस 15 अगस्त को रक्षाबंधन पर कौन सा उपहार देना चाहिए. भारतवर्ष का यह सबसे पवित्र और सबसे अटूट बंधन है रक्षाबंधन.

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