शहीद दिवस पर निबंध 2023, कब है, कब मनाया जाता है, कविता, सुविचार, क्यों मनाया जाता है, कैसे मनाते हैं (Martyr’s Day Essay in Hindi) (Shaheed Diwas Date, Bhagat Singh, Death, Poem, Quotes, Celebrated on)
हमारे देश की भूमि वीरों की जननी कही जाती है, हमारी धरती पर कई ऐसे सपूतों ने जन्म लिया, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया. उसी हिम्मत और हौसले को याद रखने के लिए 30 जनवरी को हर वर्ष भारत में इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन हमारे देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. वैसे 23 मार्च 1931 को शहीद भगत सिंह ,राजगुरु और सुखदेव फांसी के फंदे पर झूल गए थे, उस दिन को भी शहीद दिवस के रूप में मनाते हुए उन्हें याद किया जाता है. अंग्रेजों के सामने अपना सिर कभी नहीं झुकाने वाले इन तीनों क्रांतिकारियों को लाहौर में फांसी दी गई थी.
शहीद दिवस पर निबंध 2023 (Martyr’s Day Essay in Hindi)
दिवस | शहीद दिवस |
तारीख | 30 जनवरी एवं 23 मार्च |
कारण | 30 जनवरी को महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या की गई थी. 23 मार्च को भगत राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी. |
उद्देश्य | देश के सच्चे सपूतों के बलिदान को याद रखने और उन्हें श्रद्धांजलि देना |
सीख | देश के लिए प्राण बलिदान के लिए सदैव तैयार रहें. |
शहीद दिवस कब मनाया जाता है (Martyr’s Day is Celebrated on)
भारत में शहीद दिवस दो अलग-अलग तारीखों पर मनाया जाता है. 30 जनवरी को महात्मा गांधी के बलिदान को याद करने के लिए इस दिन को शहीद दिवस का नाम दिया जाता है. जबकि 23 मार्च को शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के बलिदानों को याद करने के लिए इसे शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है.
शहीद दिवस मनाने का उद्देश्य (Martyr’s Day Objective)
शहीद दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य है देश के सभी स्वतंत्रता सेनानियों को जिन्होंने अपनी प्राणों की परवाह न करते हुए देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराया था. उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करना और उन्हें याद करना.
शहीद दिवस क्यों मनाते है (Why Martyr’s Day is Celebrated)
शहीद दिवस को 2 कारणों से मनाया जाता है –
30 जनवरी शहीद दिवस (Martyr’s Day 30 January)
30 जनवरी 1948 भारतीयों के लिए किसी शोक दिवस से कम नहीं था. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जो पूरे देश के लिए स्तंभ थे. 30 जनवरी के दिन ही नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी. नाथूराम गोडसे को तुरंत पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, जांच में नाथूराम ने बताया कि वह देश को बांटने के लिए गांधीजी का विरोधी था, उसने कहा कि गांधी जी ने देश को बांट दिया इसलिए नाथूराम ने गांधी जी को गोली मार दी. सादगी से परिपूर्ण अहिंसा के पुजारी गांधी जी ने देश की आजादी में सबसे बड़ा योगदान दिया. इसलिए 30 जनवरी को भारत में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है.
23 मार्च शहीद दिवस (Martyr’s Day 23 March)
23 मार्च एक ऐसी तारीख है अंग्रेजों से लड़ते हुए मात्र 24 वर्ष के नौजवान भगत सिंह और उनके दो साथी राजगुरु और उसके सुखदेव फांसी पर चढ़ने को तैयार हो गए थे. कहा जाता है कि भगत सिंह को जब पता चला कि उन्हें फांसी पर लटकाया जा रहा है तो उन्हें बहुत खुशी हुई. 23 मार्च की तारीख इतिहास में भगत सिंह और साथियों की कुर्बानी की गवाह हैं, इसलिए हम भारतीयों के लिए यह दिन बेहद खास है.
भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव कौन थे (Who is Bhagat Singh, Rajguru and Sukhdev)
भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर, 1907 में पंजाब के बंगा गांव में हुआ था. वे स्वतंत्रता सेनानी के परिवार में पले बढ़े, उनके आसपास का माहौल देशभक्ति से ओतप्रोत था. वे बचपन से ही देश को आजाद कराने के विषय में सोचते रहते थे. सुखदेव का जन्म भी 15 मई 1907 को भगत सिंह के गांव बंगा में हुआ था, यह दोनों बचपन से ही एक दूसरे के घनिष्ठ मित्र थे. राजगुरु का जन्म पुणे में 1908 में हुआ था. इन तीनों का एक ही मकसद था देश को अंग्रेजों के चंगुल से छुड़ाना. जब अंग्रेजों ने लाला लाजपत राय की हत्या कर दी तब भगत सिंह और उनके मित्रों राजगुरु और सुखदेव का गुस्सा अंग्रेजो के खिलाफ सातवें आसमान पर चढ़ गया. उन्होंने अंग्रेजों से बदला लेने का फैसला किया.
क्यों दी गई भगतसिंह,राजगुरु और सुखदेव को फांसी (Sentence of Death Reason)
अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाते हुए भगतसिंह और उनके साथियों ने पब्लिक सेफ्टी और ट्रेड डिस्ट्रीब्यूटर बिल के विरोध में बम फेंके. 8 अप्रैल, 1929 को सेंट्रल असेंबली में फेंके गए इस बम का केवल और केवल अंग्रेजों को डराना था, भगत और उनके साथ ही किसी को भी जान से नहीं मारना चाहते थे. बम फेंकते ही पूरा असेंबली धुंए से भर गया और भगतसिंह और उनके साथी इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाने लगे. उन्हें वही गिरफ्तार कर लिया गया, भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव की कोर्ट में पेशी हुई, पेशी में काकोरी हत्याकांड और कई अन्य मामलों में भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव पर चार्जशीट दायर की गई जिसके बाद अदालत ने इन्हे फांसी की सजा सुनाई. कहा जाता हैं कि भगत सिंह को 24 मार्च 1931 को फांसी दी जानी थी, लेकिन उन्हें 11 घंटे पहले ही 23 मार्च 1931 को शाम 7.30 बजे फांसी पर लटका दिया गया, जब भगत सिंह फांसी पर लटक रहे थे तब उनके चेहरे पर एक मुस्कुराहट थी. उन्हें अपनी मृत्यु का कोई गम नहीं था.
शहीद दिवस कैसे मनाते हैं (How Martyr’s Day is Celebrated)
शहीद दिवस के दिन भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है, स्कूलों में परेड का आयोजन कराया जाता है. कार्यालय में वाद विवाद प्रतियोगिता, भाषण इत्यादि का आयोजन कर नई पीढ़ी को सपूतों के बलिदान की कहानियां सुनाई जाती है. ताकि उनकी कुर्बानी हमेशा के लिए अमर रहे और आने वाली कई पीढ़ियां उन्हें याद रखें.
शहीद दिवस के सुविचार (Martyr’s Day Quotes)
- सलाम हैं उन वीरों को जो अंग्रेजो के आगे डट पाए, ना होने दी फिर कायराना हरकत जुर्म के खिलाफ लड़ गये.
- शहादत कुछ ख़त्म नहीं करती, वो महज़ शुरुआत है.
- शहीद हमारे देश का गौरव हैं. हमारे देश की पहचान हैं. जिनकी शहादत में पूरा देश नतमस्तक होता है और उन्हें कोटि कोटि नमन करता है.
- जिंदगी तो सिर्फ अपने कदमों पर जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं.
- आज वसुधा पर बिछी है लाल चादर और तिरंगा ओढ़े कोई सो रहा है, देश को आजादी की सांसे दिलाकर, माँ का लाल शायद अब आराम कर रहा हैं.
- जलते हुए इन दीयों को हम बुझने नही देगे, मर जाएगे पर वतन को झुकने नही देगे.
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FAQ
Q : शहीद दिवस मनाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य क्या है?
Ans : आने वाली पीढ़ी को हमारे पूर्वजों के बलिदानों के बारे में बताया जाए.
Q : शहीद दिवस मनाने की तारीख क्या है?
Ans : 30 जनवरी और 23 मार्च को मनाया जाता है.
Q : शहीद दिवस मनाने के कारण क्या है?
Ans : 23 मार्च को भगत सिंह और उनके साथियों ने अंग्रेजों से लोहा लेते हुए अपनी जान की कुर्बानी दे दी थी, उनकी सी कुर्बानी को याद रखने के लिए सारा देश शहीद दिवस मनाता है. महात्मा गांधी के योगदान से देश आजाद हुआ इसलिए उनके मृत्यु दिवस को शहीद दिवस नाम दिया गया है.
Q : शहीद दिवस किस तरह मनाना चाहिए?
Ans : इस दिन वीर सपूतों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करनी चाहिए, उनसे जुड़े हुए सभी तथ्यों के बारे में विचार विमर्श करना चाहिए,तथा जानकारी इकट्ठा करके सभी को बताना चाहिए.
Q : शहीदों के बलिदान से क्या सीख मिलती है?
Ans : शहीदों के बलिदान के बारे में पढ़कर और जानकर मन में देशभक्ति की भावना उत्पन्न होती है, यह सिखाता है कि हमें अपने राष्ट्र और देश पर अपने प्राण निछावर करने के लिए तैयार रहना चाहिए.
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