एसएसडी क्या है, फुल फॉर्म (What is SSD, Full Form in Hindi)

एसएसडी क्या है, फुल फॉर्म, प्राइस, क्या होता है, कैसे काम करता है, फायदे, नुकसान, प्रकार, कनेक्टर (What is SSD, Full Form in Hindi) (Kya Hai, Price, Types, Works, Advantages, Benefit, Disadvantages, Connector)

एसएसडी की तुलना अक्सर एचडीडी से की जाती है। यह दोनों ही डिवाइस कंप्यूटर में डाटा को स्टोर करने के लिए इस्तेमाल में लिए जाते हैं परंतु इन दोनों में अंतर यह होता है कि इन दोनों में कोई शेर है तो कोई सवा शेर है। दोनों की अपनी अपनी खामियां हैं और अपनी अपनी खूबी है। जहां एसएसडी थोड़ा सा महंगा मिलता है वही एचडीडी कम कीमत पर प्राप्त होता है परंतु एसएसडी में कम स्टोरेज और एचडीडी में ज्यादा स्टोरेज होता है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि “एसएसडी क्या है” और “एसएसडी का इतिहास क्या है” तथा “एसएसडी के प्रकार क्या हैं” और “एसएसडी का फुल फॉर्म क्या है।”

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Table of Contents

एसएसडी क्या है (What is SSD)

डाटा को फ्लैश मेमोरी में स्टोर करने वाला एसएसडी एक प्रकार का स्टोरेज डिवाइस होता है। इसे आप फ्लैश ड्राइव का बड़ा वर्जन भी समझ सकते हैं। इस प्रकार से आप यह समझ गए होंगे कि आखिर एसएसडी का मतलब क्या होता है। इसका इस्तेमाल लैपटॉप में कर सकते हैं और कंप्यूटर में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। आपको पता ही होगा कि डाटा को कंप्यूटर में स्टोर करने के लिए कंप्यूटर में एचडीडी लगाया गया होता है, ठीक इसी प्रकार डाटा को स्टोर करने के लिए हमारे द्वारा एसएसडी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।  हालांकि एक बात यह भी है कि एसएसडी के काम करने की कैपेसिटी एचडीडी के मुकाबले में काफी फास्ट है। एसएसडी के तेज होने की वजह यह है कि इसमें एसएसडी चिप लगा हुआ होता है और इसी की वजह से यह काफी तेजी के साथ काम करता है। वहीं दूसरी तरफ जब आप एचडीडी को चेक करते हैं तो उसमें चिप नहीं लगी हुई होती है और इसी वजह से उसमें जो ड्राइवर होता है वह घूमता रहता है जिसकी वजह से एचडीडी की स्पीड एसएसडी की तुलना में धीमी होती है।

एसएसडी का फुल फॉर्म (SSD Full Form)

SSD का फुल फॉर्म सॉलिड स्टेट ड्राइव होता है। यह कंप्यूटर और पर्सनल कंप्यूटर में प्रयोग होने वाला स्टोरेज डिवाइस है।

एसएसडी की विशेषताएं (SSD Features)

आइए अब हम जानकारी प्राप्त करते हैं कि एसएसडी के फीचर्स क्या है अथवा एसएसडी की विशेषताएं क्या है।

तेज स्पीड (High Speed)

सॉलि़ड स्टेट ड्राइव बहुत ही तेज होता है और इसी की वजह से इसमें आपको बेहतरीन एक्सेस टाइम प्राप्त होता है जिसकी वजह से बूट अप तेजी से होते हैं साथ ही फाइल ट्रांसफर की प्रक्रिया भी बहुत ही फास्टली होती है।

अल्ट्रा लाइट वेट (Ultra Light Weight)

वजन में यह काफी हल्के होते हैं। इसकी वजह है कि इसमें सिर्फ फ्लैश चिप ही लगी हुई होती है जिसका वजन बहुत ही कम होता है।

अधिक ड्यूरेबल (More Durable)

इसमें नंद फ्लैश का एक मैकेनिकल डिजाइन भी होता है जो सर्किट बोर्ड पर माउंट होता है और आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सॉलि़ड स्टेट ड्राइव में तकरीबन 1500 ग्राम का shock resistant होता है।

साइलेंट (Silent)

जब यह अपना काम प्रारंभ करता है तो इसमें बिल्कुल भी आवाज नहीं आती है। यह बिल्कुल गुप्त तरीके से अपना काम करता है।

कम पावर खपत (Low Power Consumption)

सॉलि़ड स्टेट ड्राइव के द्वारा बहुत ही कम मात्रा में पावर का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए जिस किसी भी डिवाइस में सॉलि़ड स्टेट ड्राइव का यूज़ होता है उस डिवाइस की बैटरी लोंग लास्टिंग होती है अर्थात लंबे समय तक चलती है और लंबे समय तक उसमें पावर बची रहती है।

कुल रनिंग (Total Running)

सॉलि़ड स्टेट ड्राइव अधिकतर ठंडा ही रहते हैं और इसके द्वारा बहुत ही कम मात्रा में गर्मी पैदा की जाती है। इसीलिए इसे एनर्जी एफिशिएंट डिवाइस भी कहते हैं। यह लंबे समय तक काम करने के बावजूद भी ज्यादा गर्म नहीं होते हैं। इसमें बहुत ही अच्छी कोस्ट एफिशिएंसी भी उपलब्ध होती है।

ऐसा कहा जाता है कि यह थोड़े से अधिक दाम वाले होते हैं परंतु जब इसका इस्तेमाल लंबे समय तक किया जाता है तब आपको इस बात की जानकारी पता होती है कि आपने इसका अधिक दाम देकर के कोई भी गलती नहीं की हुई है।

एसएसडी के प्रकार (SSD Types)

सॉलि़ड स्टेट ड्राइव के विभिन्न प्रकार होते हैं जिनमें से मुख्य प्रकारों के नाम नीचे हमने आपको दिए हुए हैं साथ ही उनकी चर्चा भी की हुई है।

SATA SSD Disk 

लैपटॉप में जो हार्ड ड्राइव लगी हुई होती है उसी प्रकार से यह एसएसडी होता है। इसके द्वारा एक नॉर्मल sata कनेक्टर का यूज किया जाता है। इसे एसएसडी का सबसे नॉर्मल फॉर्मेट कहते हैं जिसे आप आसानी से देख कर के आईडेंटिफाई कर सकते हैं। मार्केट में जब सॉलि़ड स्टेट ड्राइव की लॉन्चिंग हुई थी तब इसी प्रकार के सॉलि़ड स्टेट ड्राइव को लांच किया गया था और शायद आप भी अपने पर्सनल कंप्यूटर या फिर लैपटॉप में इसका इस्तेमाल करते होंगे।

MTS-SSD Disk

इसका आकार काफी छोटा होता है और यह सॉलि़ड स्टेट ड्राइव से थोड़ा सा अलग होता है। इस सॉलि़ड स्टेट ड्राइव डिस्क का इस्तेमाल किसी भी कंप्यूटर में अथवा पीसी में नहीं किया जा सकता है बल्कि इस प्रकार के सॉलि़ड स्टेट ड्राइव का अधिकतर इस्तेमाल लैपटॉप में ही होता है।

M.2 SSD Disk

यह बिल्कुल उसी तरह दिखाई देता है जैसे msata दिखाई देता है परंतु यह msata का अपडेटेड वर्जन होता है और इसके काम करने की स्पीड msata से काफी तेज होती है। हालांकि इसका आकार छोटा होता है परंतु छोटा आकर होने के बावजूद भी यह किसी भी कनेक्टिविटी को सपोर्ट देने का काम करता है। उदाहरण के तौर पर आप इसे सामान्य sata के केबल से भी जोड़ सकते हैं।

SSHD SSD Disk

इसका निर्माण एचडीडी और एसएसडी दोनों को मिलाकर के किया गया होता है। इसका पूरा नाम सॉलि़ड स्टेट हार्ड ड्राइव होता है। वर्तमान के समय में इस प्रकार की डिस्क बहुत ही कम दिखाई देती है परंतु जो आधुनिक जमाने के लैपटॉप आ रहे हैं उसमें इसका इस्तेमाल अधिक किया जा रहा है।

PCIe SSD

इसे आप एसएसडी हार्ड ड्राइव समझ सकते हैं। यह कंप्यूटर सिस्टम के साथ कनेक्ट हुए सॉलि़ड स्टेट ड्राइव को पीसीआईई इंटरफेस के इस्तेमाल के जरिए रेफर करता है।

एसएसडी कैसे काम करता है (How does SSD Works)

इस बात से आप परिचित हैं कि हार्ड डिस्क में चिप फिट नहीं होती है जिसकी वजह से हार्ड डिस्क को डाटा को स्टोर करने के लिए लगातार घूमते रहने की आवश्यकता होती है परंतु जो सॉलि़ड स्टेट ड्राइव होते हैं। उनमें चिप लगी हुई होती है जो कि बिल्कुल रेंडम एक्सेस मेमोरी की तरह ही अपना वर्क करती हैं और सॉलि़ड स्टेट ड्राइव को डाटा को स्टोर करने के लिए घूमने की आवश्यकता बिल्कुल भी नहीं होती है। इसी प्रकार से सॉलि़ड स्टेट ड्राइव अपना काम करती हैं।

एसएसडी और एचडीडी में क्या अंतर है (Difference b/w SSD and HDD)

इन दोनों के बीच मुख्य अंतर क्या है आइए नीचे जानकारी प्राप्त करते हैं।

  • एचडीडी की तुलना में सॉलि़ड स्टेट ड्राइव के काम करने की स्पीड काफी तेज होती है, वही एचडीडी के काम करने की स्पीड धीमें होती है।
  • एचडीडी की तुलना में सॉलि़ड स्टेट ड्राइव की कीमत थोड़ी सी अधिक होती है।
  • सॉलि़ड स्टेट ड्राइव की तुलना में एचडीडी में स्टोरेज की कैपेसिटी अधिक होती है।
  • सॉलि़ड स्टेट ड्राइव में घूमने वाले पार्ट नहीं होते हैं इसीलिए इसे सुरक्षित माना जाता है परंतु एचडीडी में घूमने वाले पार्ट होते हैं। इसीलिए इसे सॉलि़ड स्टेट ड्राइव की तुलना में ज्यादा सुरक्षित नहीं माना जाता है।
  • सॉलि़ड स्टेट ड्राइव के द्वारा बिजली की खपत बहुत ही कम किया जाता है परंतु एचडीडी अधिक मात्रा में बिजली को खर्च करता है।
  • किसी लैपटॉप में अगर सॉलि़ड स्टेट ड्राइव होता है तो उसमें जब कोई डेटा पढ़ा जाता है तो कोई भी आवाज उत्पन्न नहीं होती है परंतु अगर लैपटॉप में एचडीडी होता है तो डाटा पढ़ने के दरमियान साउंड पैदा होता है।

एसएसडी का इतिहास (History of SSD)

सबसे पहले साल 1991 में सैनडिस्क कॉरपोरेशन के द्वारा पहला सॉलि़ड स्टेट ड्राइव का निर्माण किया गया था। परंतु इसकी स्टोरेज करने की कैपेसिटी सिर्फ 20 एमबी के आसपास में ही थी और यह फ्लैश सॉलि़ड स्टेट ड्राइव भी नहीं था। इसके पश्चात एम सिस्टम नाम की कंपनी के द्वारा साल 1995 में पहला फ्लैश सॉलि़ड स्टेट ड्राइव का निर्माण किया गया। और इस प्रकार से आगे चलते हुए विभिन्न कंपनियों के द्वारा विभिन्न टेक्नोलॉजी वाले और फीचर्स वाले सॉलि़ड स्टेट ड्राइव का निर्माण किया गया। और वर्तमान के समय में मार्केट में एडवांस टेक्नोलॉजी वाले सॉलि़ड स्टेट ड्राइव मिल रहे हैं जिनकी स्टोरेज करने की कैपेसिटी 30 TB तक भी है‌।

एसएसडी में कनेक्टर (SSD Connector)

सॉलि़ड स्टेट ड्राइव में मुख्य तौर पर 2 प्रकार के कनेक्टर होते हैं जिनकी जानकारी नीचे दी गई है।

एम2 कनेक्टर (M2 Connector)

सॉलि़ड स्टेट ड्राइव को पढ़ने और लिखने की आखरी लिमिट पहुंचाने के लिए M2 कनेक्टर का इस्तेमाल किया जाता है। यह कनेक्टर जब इस्तेमाल में लाया जाता है तो सॉलि़ड स्टेट ड्राइव की स्पीड काफी तेज हो जाती है। एक प्रकार से यह एसएसडी की स्पीड को बूस्ट करने का काम करता है। यह मदर बोर्ड में लगा हुआ होता है और इसके द्वारा ही सॉलि़ड स्टेट ड्राइव कनेक्टेड रहता है।

पीसीआईई कनेक्टर (PCIE Connector)

अगर मदर बोर्ड के द्वारा M2 कनेक्टर का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा होता है तो ऐसी सिचुएशन में मदर बोर्ड में pci-e कनेक्टर सेट होता है। इसके द्वारा सॉलि़ड स्टेट ड्राइव की बैंडविथ इंक्रीज होती है और ऐसा होने पर सॉलि़ड स्टेट ड्राइव और भी तेज गति के साथ काम करना प्रारंभ कर देता है।

एसएसडी का काम (SSD Works)

जिस प्रकार से हार्ड डिस्क के द्वारा काम किया जाता है उसी प्रकार से सॉलि़ड स्टेट ड्राइव भी काम करता है। यह डाटा को स्टोर करने का काम करता है। परंतु अगर इसकी तुलना एचडीडी से की जाए तो एचडीडी की तुलना में एसएसडी की परफॉर्मेंस बहुत ही बेहतरीन होती है और यह काफी तेज गति के साथ काम करता है जिसकी वजह से कंप्यूटर की परफॉर्मेंस में भी काफी इंप्रूवमेंट दिखाई देती है।

एसएसडी के फायदे (SSD Advantages)

अगर आपके लैपटॉप में अथवा आपके पर्सनल कंप्यूटर में सॉलि़ड स्टेट ड्राइव लगा हुआ है तो इसके द्वारा आपको कुछ बहुत ही बेहतरीन फायदे प्राप्त होते हैं जो कि निम्नानुसार है।

  • सॉलि़ड स्टेट ड्राइव के काम करने की स्पीड बहुत ही अच्छी होती है।
  • इसके द्वारा बिल्कुल भी आवाज नहीं पैदा की जाती है।
  • इनका वजन भी कम होता है और इनका आकार भी छोटा ही होता है।
  • सॉलि़ड स्टेट ड्राइव के द्वारा बिजली की खपत बहुत ही कम की जाती है।‌ इससे आपका इलेक्ट्रिसिटी का बिल बचता है।
  • सॉलि़ड स्टेट ड्राइव लोंग लास्टिंग होते हैं अर्थात यह लंबे समय तक काम करने के लिए बने हुए होते हैं।
  • सॉलि़ड स्टेट ड्राइव मैग्नेटिक इफ़ेक्ट मे भी सुरक्षित रहते हैं।

एसएसडी के नुकसान (SSD Disadvantages)

सॉलि़ड स्टेट ड्राइव के फायदे जानने के पश्चात सॉलि़ड स्टेट ड्राइव के नुकसान भी अवश्य ही जानने चाहिए। आइए जानते हैं कि सॉलि़ड स्टेट ड्राइव के डिसएडवांटेज क्या है।

  • सॉलि़ड स्टेट ड्राइव मार्केट में महंगी कीमत पर मिलते हैं।
  • एचडीडी की तुलना में सॉलि़ड स्टेट ड्राइव में स्टोरेज करने की कैपेसिटी कम होती है।

कैसे पता करें कि कंप्यूटर में एचडीडी है या एसएसडी (How to know if Computer has HDD or SSD)

इसके बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए सबसे पहले आपको विंडोज बटन के साथ आर बटन को दबाना है। अब आपको सर्च बार में Dfrgui लिखना है और सर्च करना है। अब आपको मीडिया टाइप वाले कॉलम में देखना है। ऐसा करने पर आप जान सकेंगे कि आपके पर्सनल कंप्यूटर में हार्ड डिस्क है अथवा सॉलि़ड स्टेट ड्राइव है।

कंप्यूटर में एसएसडी लगाएं या एचडीडी (Put SSD or HDD in Computer)

इस बात को लेकर आप कंफ्यूज है कि अपने कंप्यूटर में आप सॉलि़ड स्टेट ड्राइव लगाएं अथवा हार्ड डिस्क ड्राइव लगाएं तो बता दें कि अगर आप अपने कंप्यूटर की परफॉर्मेंस और भी अच्छी चाहते हैं साथ ही हाई स्पीड चाहते हैं और आपको ज्यादा स्टोरेज की डिमांड नहीं है तो आप को सॉलि़ड स्टेट ड्राइव का इस्तेमाल कंप्यूटर में करना चाहिए। परंतु अगर आपको अधिक मात्रा में स्टोरेज चाहिए और आपको ठीक-ठाक स्पीड भी चाहिए तो ऐसी अवस्था में आपको हार्ड डिस्क ड्राइव को कंप्यूटर में लगाना चाहिए। हार्ड डिस्क ड्राइव की कीमत कम होती है और यह कम कीमत में आपको अधिक स्टोरेज कैपेसिटी देती है परंतु इसकी स्पीड धीमी होती है। वही सॉलि़ड स्टेट ड्राइव महंगा होता है और इसमें स्टोरेज कैपेसिटी कम होती है परंतु इसके काम करने की स्पीड एचडीडी की तुलना में तेज होती है। हमारी एडवाइज के अनुसार आपको अपने लैपटॉप में अथवा अपने कंप्यूटर में 1tb हार्ड डिस्क ड्राइव तथा 120gb अथवा 256gb सॉलि़ड स्टेट ड्राइव को एक साथ लगवाना चाहिए। इससे कंप्यूटर की स्पीड बहुत ही तेज हो जाएगी।

क्या एसएसडी और एचडीडी का इस्तेमाल एक साथ किया जा सकता है

आप एक ही कंप्यूटर में सॉलि़ड स्टेट ड्राइव और हार्ड डिस्क ड्राइव का इस्तेमाल बिल्कुल कर सकते हैं। यह बहुत ही बेहतरीन आईडिया है। ऐसा अगर आप करते हैं तो तेज लोडिंग आपको मिलेगी साथ ही कम बिजली की खपत होगी। एक ही कंप्यूटर में सॉलि़ड स्टेट ड्राइव और हार्ड डिस्क ड्राइव का इस्तेमाल करने से आपको सॉलि़ड स्टेट ड्राइव की तेज रफ्तार मिलती है और हार्ड डिस्क ड्राइव का अधिक स्टोरेज का फायदा मिलता है।

सॉलि़ड स्टेट ड्राइव बनाने वाली टॉप कंपनी (Top Company Making SSD)

नीचे कुछ ऐसी कंपनियों के नाम दिए गए हैं जो सॉलि़ड स्टेट ड्राइव बनाने के मामले में बेहतरीन कंपनी मानी जाती है।

  • CRUCIAL
  • SAMSUNG
  • ADATA
  • KINGSTON
  • WD
  • GALAX
  • GIGABYTE
  • BARRACUDA
  • HIKVISION
  • SILICON POWER

भारत में मौजूद बेस्ट एसएसडी (Best SSD in India)

नीचे हमने कुछ बेहतरीन एसएसडी के नाम दिए हुए हैं जिसे आप खरीद सकते हैं और इनका इस्तेमाल कर सकते हैं।

  • Samsung 980
  • Crucial BX500
  • Kingston Q500
  • WD SN550
  • Samsung 870 QVO
  • Samsung 970 EVO plus
  • Aadat falcon
  • Aadat XPG S11 pro
  • Aadat XPG S40G
  • WD blue
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FAQ

Q : सॉलि़ड स्टेट ड्राइव कैसा डिवाइस है?

Ans : सेकेंडरी स्टोरेज डिवाइस

Q : एसएसडी का फुल फॉर्म क्या है?

Ans : सॉलि़ड स्टेट ड्राइव

Q : एचडीडी का फुल फॉर्म क्या है?

Ans : हार्ड डिस्क ड्राइव

Q : एचडीडी और एसएसडी में कीमती कौन है?

Ans : एसएसडी

Q : पहला एसएसडी किसने बनाया था?

Ans : सैनडिस्क कॉरपोरेशन, साल 1991

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