कंप्यूटर का इतिहास, अविष्कार किसने किया, जनक कौन है,कंप्यूटिंग डिवाइस, पहला कंप्यूटर, नाम (Computer’s History in Hindi) (Avishkar kab hua, Itihas, Computing Device, First Computer, Name)
पहले के समय में जब इंसानों को कोई कैलकुलेशन करनी होती थी तब उसे करना सरल नहीं था क्योंकि कैलकुलेशन करने के लिए इंसानों के पास कोई भी डिवाइस नहीं था। इसीलिए इंसानों को कैलकुलेशन करने के लिए काफी अधिक समय लग जाता था। अगर कैलकुलेशन काफी लंबी होती थी तो ऐसी अवस्था में तो और भी लंबा समय लगता था परंतु कैलकुलेशन की समस्या को हल करने के लिए साथ ही जल्दी और सही रिजल्ट पाने के लिए इंसानों ने कैलकुलेशन करने के लिए एक मशीन बनाई जिसका नाम उस समय के हिसाब से अलग रखा गया परंतु उसी कैलकुलेशन मशीन को आज हम कंप्यूटर के नाम से जानते हैं। इस आर्टिकल में आज हम जानेंगे कि “कंप्यूटर का इतिहास क्या है।”
कंप्यूटर का इतिहास (Computer’s History in Hindi)
कंप्यूटर का इतिहास जानने से पहले यह जानना भी आवश्यक है कि आखिर कंप्यूटर किस प्रकार से कितनी बड़ी संख्या का हिसाब कर लेता है। जब इंसानों को नंबर का हिसाब करने में मुश्किल आने लगी तो उन्होंने नए-नए सिस्टम को खोजने पर काम जारी किया ताकि उन्हें हिसाब जोड़ने में सहायता प्राप्त हो सके। हिसाब जोड़ने की प्रक्रिया में systems of numeration का इस्तेमाल किया जाता था जैसे कि Babylonian system of numeration, Greek system of numeration, Roman system of numeration और Indian system of numeration इत्यादि। इसके बाद कंप्यूटर आया।
कंप्यूटर का अविष्कार (Invention of Computer)
कंप्यूटर एक मशीन है जिसे सबसे पहले सन 1822 में चार्ल्स बैबेज ने बनाया था. इन्होने पहले मैकेनिकल कंप्यूटर के सिद्धांत की खोज की, और पहला कंप्यूटर अबेकस बनाया.
विश्व का पहला कंप्यूटर ‘Abacus’ (World First Computer)
कैलकुलेशन करने के लिए पहली बार लगभग 600 ईसा पूर्व चाइना में अबेकस डिवाइस की खोज की गई थी। तब के समय में इसे सोरोबान के नाम से भी जानते थे। इस डिवाइस के द्वारा आसानी से गणित की कैलकुलेशन की जा सकती थी और उन्हें हल किया जा सकता था और अच्छी बात यह थी कि इसके लिए कैलकुलेटर, कॉपी या फिर पेन की आवश्यकता नहीं पड़ती थी। यह आयताकार फ्रेम में बना हुआ तारों का एक स्ट्रक्चर है जिसके तारों में गोल मोती पिरोया गया है। इन्हीं मोतियों के द्वारा जोड़, गुणा और दूसरी गणित की कैलकुलेशन होती थी। इसके लिए जो मोती तारों पर लगे हुए थे उन्हें सरकाया जाता था।
अन्य कंप्यूटिंग डिवाइस (Other Computing Devices)
आइये अब इतिहास के कुछ अन्य कंप्यूटिंग डिवाइस के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।
John Napier’s Bone
इसे जॉन नेपियर की हड्डी भी कहते हैं, जिसका आविष्कार 17 वी शताब्दी के आसपास किया गया था। इसमें हाथी के दांत या फिर धातु से बनी हुई छड़े होती है जिसके ऊपर नंबर छपे हुए होते हैं। जॉन नेपियर की हड्डी यंत्र को कार्ड बोर्ड मल्टीप्लिकेशन कैलकुलेटर भी कहा जाता है। इसके द्वारा मैकेनिकल कैलकुलेशन की जा सकती है, साथ ही इसका इस्तेमाल नंबर को गुणा करने के लिए और नंबर का भाग करने के लिए भी किया जाता है। इस यंत्र में नंबर को गुणन करने की जगह पर अंको को जोड़ की सहायता से गुणा किया जाता था। बता दें कि जॉन नेपियर एक बहुत ही अच्छे गणित सब्जेक्ट के जानकार थे, साथ ही वह फिजीशियन भी थे। उनके द्वारा इस यंत्र में गुणा भाग करने के लिए 9 अलग-अलग प्रकार के अंक चिन्हित हड्डियों का इस्तेमाल किया गया था। इसलिए इस यंत्र का नाम जॉन नेपियर की हड्डी रखा गया। इसके डेवलप्ड स्वरूप का यूज़ तकरीबन 1890 तक किया गया।
Pascaline
फ्रांस में रहने वाले मैथमेटिशियन ब्लेज पास्कल के द्वारा एक कैलकुलेशन का यंत्र साल 1942 में तैयार किया गया, जिसे एडिंग मशीन का नाम दिया गया। यह मशीन सिर्फ जोड़ने और घटाने की ही कैलकुलेशन करती थी। ब्लेज पास्कल के द्वारा निर्मित यह मशीन ऑडी मीटर और घड़ी के सिद्धांत पर अपना काम करती थी। ब्लेज पास्कल के सरनेम का इस्तेमाल करके इस मशीन का नाम बाद में Pascaline रखा गया और इसे फर्स्ट मैकेनिकल कैलकुलेटर मशीन कहा गया।
Reckoning Machine
इसका निर्माण जर्मनी के रहने वाले गणित भाषा के जानकार तथा दार्शनिक बैरन गॉड फ्रेड के द्वारा किया गया। यह मशीन जोड़, घटाव तो कर ही सकती थी साथ ही गुणा और भाग भी कर सकती थी।
Jacquard’s Loom
फ्रांस में रहने वाले और कपड़े का काम करने वाले जोसेफ जेकार्ड ने एक ऐसा लूम तैयार किया था जो अपने आप ही कपड़ों की डिजाइन का पैटर्न क्रिएट कर देता था, जिसका कंट्रोल कार्ड बोर्ड के छेद वाले पंच कार्ड के द्वारा होता था। जेकार्ड के द्वारा बनाए गए इस लूम ने कंप्यूटर के डेवलपमेंट में काफी अहम योगदान दिया था जिसकी वजह से दो विचारधारा निकल कर के आई जिसके अंतर्गत इंफॉर्मेशन को पंच कार्ड पर प्रिंट किया जा सकता था। और पंच कार्ड पर जो इंफॉर्मेशन थी उसे इंस्ट्रक्शन का ग्रुप बनाया गया जो कि प्रोग्राम के तौर पर वर्क करता था।
Difference Engine
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में गणित के सब्जेक्ट के प्रोफेसर चार्ल्स बैबेज के द्वारा 19वीं शताब्दी के पहले साल 1822 में डिफरेंस इंजन नाम का कैलकुलेशन करने वाला एक यांत्रिक मशीन बनाई गई ताकि बेहतरीन और भरोसेमंद रिजल्ट प्राप्त किया जा सके।
Charles Babbage
चार्ल्स बैबेज के द्वारा साल 1842 में एक पावरफुल मशीन की रूपरेखा तैयार की गई जिसका नाम एनालिटिकल इंजन रखा गया था। यह मशीन ऑटोमेटिक थी और गणित की कैलकुलेशन सरलता के साथ कर सकती थी। इसमें काम करने की स्पीड 60 कैलकुलेशन हर मिनट की थी। एनालिटिकल इंजन मशीन पंच कार्ड पर स्टोर इंस्ट्रक्शन के ग्रुप के द्वारा निर्देशित होकर के वर्क करती थी और इसके अंदर इंस्ट्रक्शन को स्टोर करने की कैपेसिटी भी मौजूद थी। इसके अलावा यह मशीन ऑटोमेटिक रूप से रिजल्ट को प्रिंट करती थी। आगे चलकर के चार्ल्स बैबेज के द्वारा निर्मित एनालिटिकल इंजन मशीन आधुनिक कंप्यूटर का आधार बनी। इसीलिए फादर ऑफ कंप्यूटर अथवा कंप्यूटर के जनक के तौर पर चार्ल्स बैबेज का नाम लिया जाता है।
Keyboard Machine
कीबोर्ड मशीन को हिंदी में कुंजीपटल यंत्र कहा जाता है। यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका में साल 1980 के आसपास में कीबोर्ड मशीन को तैयार किया गया था। कीबोर्ड मशीन में इंस्ट्रक्शन को देने के लिए और आंकड़ों को देने के लिए कीबोर्ड का इस्तेमाल होता था। वर्तमान के समय में भी यह मशीन काफी प्रभावी तौर पर काम कर रही है।
Hollerith Census Tabulator
1890 में अमेरिका में जनगणना होने वाली थी। इस जनगणना के काम को तेज गति के साथ पूरा करने के लिए हर्मन होलेरिथ के द्वारा एक नई मशीन का निर्माण किया गया जिसमें पंच कार्ड का यूज़ होता था। इस मशीन का नामHollerith Census Tabulator रखा गया। इस मशीन का आविष्कार होने के पश्चात अमेरिका की जनगणना सिर्फ 3 साल में ही कंप्लीट हो गई जो कि इसके पहले 7 सालों में पूर्ण होती थी। इसके पश्चात साल 1896 में टेबुलेटिंग मशीन कंपनी बनाई गई। आगे चलने के बाद इस कंपनी का नाम चेंज किया गया और इसका नाम कंप्यूटर टेबुलेटिंग रिकॉर्डिंग कंपनी रखा गया। इसके पश्चात साल 1924 में कंपनी के नाम को चेंज किया गया और उसका नाम इंटरनेशनल बिजनेस मशीन रखा गया जो वर्तमान के समय में दुनिया भर में कंप्यूटर मैन्युफैक्चरिंग करने वाले टॉप कंपनी की लिस्ट में शामिल हो चुकी है।
शुरुआत के कुछ प्रसिद्ध कंप्यूटर्स के नाम (Names of some Famous Computers)
स्टार्टिंग के कुछ प्रसिद्ध कंप्यूटर के नाम और उनकी जानकारी निम्नानुसार है।
Mark-1 Computer (1937-44)
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के डॉक्टर हावर्ड के द्वारा आईबीएम के साथ हाथ मिलाया गया और इन्होंने आईबीएम के साथ मिलकर के एक ऑटोमेटिक कैलकुलेशन करने वाली मशीन को तैयार किया। तैयार हुई मशीन का नाम Automatic Sequence Controlled Calculator रखा गया और आगे चलने के बाद उसके नाम को चेंज किया गया और इसका नाम मार्क-1 रखा गया। यही वह पहला कंप्यूटर था जिसे दुनिया का पहला इलेक्ट्रिक यांत्रिक कंप्यूटर कहा गया क्योंकि इसमें इलेक्ट्रिक साधन भी लगे हुए थे साथ ही यांत्रिक साधन भी लगे हुए थे। इस कंप्यूटर का आकार काफी अधिक था साथ ही इसका जो स्ट्रक्चर था वह भी थोड़ा जटिल था। इस कंप्यूटर की लंबाई 50 फुट थी और इसकी ऊंचाई 8 फुट के आसपास थी। इस कंप्यूटर में 3000 से भी अधिक इलेक्ट्रिक स्विच लगे हुए थे जिसके द्वारा भाग, गुणा, जोड़, घटाव जैसी क्रियाएं संपूर्ण होती थी।
First Electronic Computer – ABC
फिजिक्स और गणित जैसे सब्जेक्ट पढ़ाने वाले प्रोफेसर डॉ जॉन एटानासॉफ के द्वारा अपने सहयोगी क्लिफार्ड-बैरी को साथ लेकर के पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर तैयार किया गया। तैयार हुए इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर का नाम Atanasoff Berry Computer रखा गया। इस कंप्यूटर के द्वारा एक ही समय पर अलग-अलग प्रकार के समीकरण का समाधान किया जाना पॉसिबल हुआ।
ENIAC
इस कंप्यूटर का फुल फॉर्म इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटर एंड कैलकुलेटर है जिसका निर्माण यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका की आर्मी के लिए साल 1940 में किया गया था। इस कंप्यूटर का आकार काफी बड़ा था और इसमें तकरीबन 18000 से भी अधिक वेक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल किया गया था। साल 1955 तक अमेरिकन आर्मी में इस कंप्यूटर का इस्तेमाल किया गया था।
EDSAC
इस कंप्यूटर का फुल फॉर्म इलेक्ट्रॉनिक डीले स्टोरेज ऑटोमेटिक कैलकुलेटर था जोकि फर्स्ट संग्रहित प्रोग्राम कंप्यूटर था जिसका मतलब यह होता है कि इसी कंप्यूटर पर पहली बार प्रोग्राम को चलाया गया था। साल 1940 में इस कंप्यूटर को बनाया गया था। इसे बनाने का श्रेय प्रोफेसर Morice Wilkes को दिया जाता है जो कि कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में गणित लेबोरेटरी में काम करते थे।
EDVAC
इसका पूरा फुल फॉर्म इलेक्ट्रॉनिक डिस क्रिएट वेरिएबल ऑटोमेटिक कंप्यूटर है जिसका निर्माण साल 1950 में किया गया था। इस कंप्यूटर में अंकगणित क्रिया और बायनरी अंक प्रणाली का इस्तेमाल किया गया था साथ ही इसमें जो इंस्ट्रक्शन होते थे वह डिजिटल फॉर्मेट में स्टोर होते थे।
Universal Automatic Computer (UNIVAC)
साल 1946 से लेकर के साल 1951 के बीच में Eckert एवं Mauchly के द्वारा अपने इंस्टीट्यूट में बिजनेस परपज के लिए इस कंप्यूटर का डेवलपमेंट किया गया था। हालांकि यह कंप्यूटर लंबी रेस का घोड़ा साबित नहीं हो सका और काफी जल्दी ही यह कंप्यूटर मार्केट से आउट हो गया अर्थात बेकार हो गया।
UNIVAC l
साल 1954 में यूनीवैक में थोड़ा बदलाव किया गया और उसके बाद यूनीवैक-1 नाम का कंप्यूटर बनाया गया जिसका बिजनेस के लिए इस्तेमाल सबसे पहले जनरल इलेक्ट्रॉनिक कंपनी के द्वारा किया गया। इस कंप्यूटर को पहला व्यापारिक और वाणिज्य इंपॉर्टेंस वाला कंप्यूटर कहा गया।
IBM 701 and IBM 650
इंटरनेशनल बिजनेस मशीन कंपनी की स्थापना करने वाले व्यक्ति के छोटे पुत्र थॉमस वाटसन के द्वारा इस कंप्यूटर को तैयार किया गया था। आईबीएम कंपनी के द्वारा जो पहला कंप्यूटर बनाया गया था उसका नाम IBM 701 था। इसके पश्चात आईबीएम कंपनी ने साल 1955 में एक और कंप्यूटर बनाया जिसका नाम आईबीएम 650 रखा गया था।
First Mini Computer
डिजिटल इक्विपमेंट कॉरपोरेशन के द्वारा पहला मिनी कंप्यूटर साल 1965 में डिवेलप किया गया। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डिजिटल इक्विपमेंट कॉरपोरेशन मिनी कंप्यूटर का सबसे ज्यादा प्रोडक्शन करती है। इसके द्वारा जो कंप्यूटर बनाए जाते हैं वह छोटे आकार के भी होते हैं साथ ही सस्ते भी होते हैं और कम जगह लेने वाले होते हैं।
माइक्रोप्रोसेसर का इतिहास (Microprocessor History)
साल 1969 में इंटेल कंपनी के द्वारा पहला माइक्रोप्रोसेसर चिप इंटेल 4004 तैयार किया गया। इस माइक्रोप्रोसेसर चिप को इंटेल कंपनी ने स्पेशल तौर पर जापान की कंपनी डिजीकॉम के लिए तैयार किया गया था। यह माइक्रोप्रोसेसर चिप डिमांड पर तैयार की गई थी। इंटेल कंपनी के द्वारा बनाया गया यह माइक्रोप्रोसेसर चिप कुछ इंस्ट्रक्शन और लिमिटेड डाटा को ही प्रोसेस करने की कैपेसिटी रखता था। इंटेल कंपनी के द्वारा आगे बढ़ते हुए साल 1971 में दूसरी पीढ़ी का इंटेल 8008 चिप तैयार किया गया जो कि बहुत ही बेहतरीन और पावरफुल प्रोसेसर था। इंटेल कंपनी के द्वारा निर्मित इस चिप की वजह से पर्सनल कंप्यूटर का डेवलपमेंट पॉसिबल हो पाया था। इसके बाद साल 1978 में इंटेल कंपनी के द्वारा तीसरी पीढ़ी का 16 बिट 8086 प्रोसेसर डिवेलप किया गया जिसे की माइक्रो प्रोसेसर में मिनी कंप्यूटर को 16 बिट प्रोसेसर के साथ प्रदर्शित किया गया। तीसरी पीढ़ी के पश्चात साल 1990 में इंटेल कंपनी के द्वारा i386 प्रोसेसर जारी किया गया जिसकी वजह से एक ही साथ पहली बार 1 से अधिक प्रोग्राम को चलाया जाना पॉसिबल हो पाया।
पहला पर्सनल कंप्यूटर (First Personal Computer)
पहली बार साल 1974 में पहला पर्सनल कंप्यूटर तैयार किया गया था परंतु साल 1977 में पहला और सक्सेसफुल माइक्रो कंप्यूटर बनाया गया जिसे बनाने का श्रेय स्टीव वोजनायक को दिया गया। स्टीव के द्वारा बनाए गए कंप्यूटर का नाम उन्होंने एप्पल-1 रखा था। इस कंप्यूटर को बनाने के पश्चात सिर्फ 3 महीने के भीतर ही उन्होंने दूसरे कंप्यूटर पर काम करना चालू किया जिसका नाम एप्पल- 11 था। आईबीएम कंपनी ने साल 1981 में आईबीएम पीसी सीरीज के कंप्यूटर का प्रोडक्शन करना चालू किया जिसे लोगों ने काफी ज्यादा पसंद किया।
भारत में कंप्यूटर का इतिहास (Computer History in India)
हमारे देश में पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में मौजूद इंडियन स्टैटिसटिकल इंस्टीट्यूट के द्वारा साल 1952 में कंप्यूटर युग की शुरुआत की गई थी। भारतीय सांख्यिकी संस्थान में जो पहला कंप्यूटर स्थापित किया गया था वह एनालॉग कंप्यूटर था जो कि 10×10 की मैट्रिक्स को सॉल्व कर सकता था। इसके पश्चात इंडियन साइंस सेंटर, बेंगलुरु में भी एक एनालॉग कंप्यूटर को स्थापित किया गया जिसका इस्तेमाल अवकलन विश्लेषक के तौर पर किया गया। इसके पश्चात साल 1956 में इंडियन स्टैटिसटिकल इंस्टीट्यूट के द्वारा कोलकाता में हमारे भारत देश का पहला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर HEC – 2M को स्थापित किया गया। इस प्रकार से हमारा भारत देश जापान के बाद एशिया का दूसरा ऐसा देश बना जिसके पास कंप्यूटर टेक्नोलॉजी मौजूद हुई।
1966 में भारत ने विकसित कर लिया था पहला कंप्यूटर (First Indian Computer)
ISIJU के द्वारा हमारे देश का पहला कंप्यूटर साल 1966 में बना लिया गया था। इसका निर्माण करने के लिए इंडियन स्टैटिसटिकल इंस्टीट्यूट और कोलकाता की जादवपुर यूनिवर्सिटी ने संयुक्त तौर पर काम किया था। इसीलिए इसका नाम ISIJU रखा गया था। यह एक प्रकार का ट्रांजिस्टर वाला कंप्यूटर था और इसी कंप्यूटर की खोज होने के पश्चात इंडियन कंप्यूटर इतिहास में काफी महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। हालांकि इस कंप्यूटर की कमियां थी कि यह कंप्यूटर बिजनेस कंप्यूटिंग आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाता था। इसलिए इसका इस्तेमाल किसी स्पेशल काम को करने के लिए नहीं किया गया। इसके पश्चात साल 1990 के दशक में हमारे देश का पहला सुपर कंप्यूटर परम 8000 बनाया गया। जिसका इस्तेमाल अलग-अलग फील्ड में किया गया और मौसम विज्ञान तथा रसायन शास्त्र की फील्ड में काम करने वाले लोगों ने इसे काफी ज्यादा पसंद किया।
हालाकी पर्सनल कंप्यूटर के आने की वजह से आज हमारे भारत के अधिकतर घरों में और ऑफिस में पर्सनल कंप्यूटर का ही इस्तेमाल किया जाता है। परंतु देश को विकासशील देश बनाने में जो अमूल्य योगदान एनालॉग कंप्यूटर, मेनफ्रेम कंप्यूटर और सुपरकंप्यूटर ने दिया है उसे बिल्कुल भी भुलाया नहीं जा सकता है।
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FAQ
Q : कंप्यूटर का जनक किसे कहा जाता है?
Ans : चार्ल्स बैबेज
Q : भारत में कंप्यूटर की खोज कब हुई?
Ans : सन 1952 में
Q : कंप्यूटर का पुराना नाम क्या है?
Ans : यूनिवर्सल ट्यूरिंग मशीन
Q : दुनिया का सबसे बेस्ट कंप्यूटर किस देश में हैं?
Ans : China में दुनिया का सबसे Best सुपर कंप्यूटर है.
Q : दुनिया का सबसे फास्टेस्ट कंप्यूटर कौन सा है?
Ans : Fugaku Computer जो कि जापान देश में है.
Q : पहला कंप्यूटर कौन सा था?
Ans : अबेकस
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