स्वामी विवेकानंद जीवन परिचय, जयंती (Swami Vivekananda Biography in Hindi)

स्वामी विवेकानंद जीवन परिचय, जीवनी, विचार, अनमोल वचन, निबंध, सिद्धांत, कार्य, शैक्षिक, राजनीतिक विचार, गुरु का नाम, धर्म, जाति, जयंती (Swami Vivekananda Biography in Hindi) (Quotes, Books, Jayanti, Education, Birthday, Speech)

युवा संन्यासी और भारतीय संस्कृति को विदेशों तक पहुंचाने वाले स्वामी विवेकानंद साहित्य और इतिहास के विद्वान कहे जाते थे। वही थे जिन्होंने राजयोग तथा ज्ञानयोग जैसे ग्रंथों की रचना की। जिसके कारण जनमानस युगों-युगों तक लोगों के बीच छाया रहा। कन्याकुमारी में बनाई गई उनकी स्मारक आज भी उनके किए हुए कार्य को दर्शाती है। उन्होंने लोगों को सिखाया की हमेशा कर्म पर भरोसा रखो। फल अपने आप आपको मिल जाएगा। उनका मानना था कि, व्यक्ति को कभी भी मेहनत करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। क्योंकि आप जितनी मेहनत करेंगे एक ना एक दिन उसका फल आपको हासिल हो ही जाएगा। उनके इसी व्यक्तिवत को आज हम आपके सामने रखेंगे और उनके जीवन परिचय के बारे में जानकारी देंगे।

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Table of Contents

स्वामी विवेकानंद जीवन परिचय (Swami Vivekananda Biography in Hindi)

नामस्वामी विवेकानंद
वास्तविक नामनरेंद्र दास दत्त
पिता का नामविश्वनाथ दत्त
माता का नामभुवनेश्वरी देवी
जन्म12 जनवरी 1863
जन्म स्थानकोलकाता
पेशाआध्यात्मिक गुरू
प्रसिद्धीअमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप
गुरू का नामराम कृष्ण परमहंस
मृत्यृ की तारीख4 जुलाई 1902
जातिपता नहीं
संपत्तिपता नहीं
वैवाहिक स्थितिअविवाहित
कथनन हो जाये

स्वामी विवेकानंद का जन्म, जाति एवं परिवार (Swami Vivekananda Birthday, Caste, Family)

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता के गौरमोहन मुखर्जी स्ट्रीट में एक उच्च कुलीन परिवार में हुआ। उनके परिवार में उनके पिता विश्वनाथ दत्त जो की एक नामी वकील थे। उनकी माता भुवनेश्वरी देवी एक गृहणी थी। इसके अलावा उनके भाई-बहन थे। वो अपने पूरे परिवार के साथ कलकत्ता में ही रहा करते थे। स्वामी विवेकानंद का परिवार आर्थिक रूप से काफी अच्छा और पढ़ा लिखा था। जिसके कारण उनकी परवरिश में किसी तरह की कोई भी कमी नहीं हुई।

स्वामी विवेकानंद की शिक्षा (Swami Vivekananda Education)

स्वामी विवेकानंद ने अपनी पढ़ाई की शुरूआत 1871 से की। उसके लिए उन्होंने ईश्वर चंद्र विधालय में दाखिला लिया। यहां पर उन्होंने तीसरी कक्षा तक अपनी पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने रायपुर में रहकर अपनी आगे की पढ़ाई पूरी की। जिसको खत्म करके वो वापस कोलकाता आ गए। साल 1879 में उन्होंने कोलकाता वापसी की और वहां के प्रेसीडेंसी कॉलेज का एंट्रेंस एग्जाम दिया। जिसमें वो पास हो गए। इसके बाद उन्होंने से आगे की शिक्षा प्राप्त की। आपको बता दें कि, वो भारतीय पारंपरिक संगीत, शारीरिक योग, खेल और अन्य गतिविधियों में काफी निपुण रहे हैं। इसी के साथ उन्हें हिंदू धर्म के ग्रंथों में भी काफी रूचि रही। स्वामी विवेकानंद ने 1881 में ललित कला से ग्रेजुएशन पूरी की और डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने वकालत की पढ़ाई शुरू की। आपको बता दें कि, शुरू से ही स्वामी विवेकानंद को पढ़ने का काफी शौक रहा है।

स्वामी विवेकानंद जी का शुरूआती जीवन (Swami Vivekananda Early Life)

साल 1884 में लंबी बीमारी के कारण उनके पिता का निधन हो गया। जिसके कारण पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई। उसको निभाने के लिए उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी और कमाई का जरिया भी ढ़ूंढ निकाला। अपने पिता की मृत्यृ के बाद उन्होंने इतिहास और सामाजिक विज्ञान के विषयों की काफी अच्छी समझ थी। जिसके कारण उन्होंने इसको पढ़ाना शुरू किया। उससे उनका घर चलता था और भाई बहनों का पढ़ाई का खर्च भी निकलता था।

स्वामी विवेकानंद का सन्यास (Swami Vivekananda Retirement)

स्वामी विवेकानंद के पिता की मृत्यृ के बाद जब सारी जिम्मेदारी उनके गंधों पर आ गई। जिसको उन्होंने बहुत अच्छे से पूरा किया। उसके बाद 25 साल की उम्र में संन्यास लेने का फैसला लिया। जिसके बाद उन्होंने अपने घर भी छोड़ दिया और अकेले जीवन व्यतीत किया। इसमें उनकी सहायता की उनके गुरू ने जिसका नाम था रामकृष्ण परमहंस।

स्वामी विवेकानंद के गुरु (Swami Vivekananda Guru)

स्वामी विवेकानंद बचपन से काफी उत्साहित प्रवृत्ति के थे। वो अपने माता-पिता से कई तरह के सवाल पूछा करते थे। जिसका जवाब उन्हें नहीं पता होता था। ऐसा ही सवाल उन्होंने महर्षि देवेंद्र नाथ से पूछा। क्या आपने भगवान को देखा है। उनके इस सवाल को सुनकर महर्षि आश्चर्य में पड़ गए। उन्होंने कहा कि, अगर तुम्हें इस सवाल का जवाब जानना है तो इसके लिए आप रामकृष्ण परमहंस के पास जाओ। जिसके बाद स्वामी विवेकानंद उनसे काफी प्रभावित हुए और वो उनके बताए हुए मार्ग पर आगे चल दिए। जिसके बाद उनके दिल में गुरू के प्रति कर्तव्यनिष्ठा और श्रद्धा बढ़ती चली गई। यहीं से मजबूत हुई स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस का रिश्ता।

स्वामी विवेकानंद ने की रामकृष्ण मठ की स्थापना (Ramkrishna Math Establishment)

स्वामी विवेकानंद जी के गुरू का निधन 16 अगस्त 1886 को हुआ। जिसके बाद उन्होंने उनकी याद में वराहनगर में मठ की स्थापना की। जिसका नाम रामकृष्ण संघ से रखा गया। लेकिन कुछ समय बाद इसका नाम रामकृष्ण मठ कर दिया गया। आज भी ये मठ वराहनगर में स्थित है। जिसे देखने लोग आज भी वहां जाते हैं।

स्वामी विवेकानंद द्वारा चलाया गया रामकृष्ण मिशन (Ramkrishna Mission)

1 मई 1897 को स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की शुरूआत की। जिसका मुख्य उद्देश्य रहा भारत में अस्पताल, स्कूल, कॉलेज और साफ-सफाई के क्षेत्र में अपना बेहतर योगदान देना। इसी के साथ उन्होंने साहित्य और इतिहास के बारे में भी लोगों को जानकारी प्रदान की। जिससे हर कोई उन्हें पसंद करने लगा। इसके बाद उन्होंने कई और मठों की स्थापना की जहां उन्होंने लोगों को अलग-अलग चीजों का ज्ञान बांटा।

स्वामी विवेकानंद का भारत भ्रमण (Swami Vivekananda’s Visit to India)

स्वामी विवेकानंद ने 25 साल से ही घर छोड़ दिया था। जिसके कारण वो अब पूरे भारत में घूम करते थे। लेकिन ये यात्रा वो पैदल की तय किया करते थे। इसी पैदल यात्रा में उन्होंने अयोध्या, वाराणसी, आगरा, वृन्दावन, अलवर समेत कई जगहों का भ्रमण किया और वहां का अवलोकन किया। इसके बाद वो 23 दिसंबर 1892 को कन्याकुमारी पहुंचे। वहां पर वो 3 दिन समाधि में रहे। वहां से आने के बाद वो राजस्थान पहुंचे।

स्वामी विवेकानंद की अमेरिका यात्रा और शिकागो का भाषण (America Visit and Chicago Speech)

स्वामी विवेकानंद ने भारत यात्रा के साथ-साथ अमेरिका यात्रा भी की है। इसी के साथ शिकागो में अपना भाषण भी दिया। जिसे सुनकर हर किसी ने तालियां बजाई। ये तालियां उनके दिए आध्यात्मिक ज्ञान को लेकर थी। जिसमें उन्होंने श्री मद भगवत गीता का वर्णन किया। इसको सुनकर हर कोई मंत्रमुग्द हो गया। इसी के बाद विदेशों में श्री मद भगवत का ज्ञान बांटा गया।

स्वामी विवेकानंद की मृत्यृ (Swami Vivekananda Death)

स्वामी विवेकानंद जब अमेरिका से वापस लौटे तो वो बीमार हो गए। वो करीबन 3 साल तक बीमार रहे। उसके बाद वो ठीक हो गए।जिसके बाद उन्होंने शुक्ल यजुर्वेद की व्याख्या की। उसके बाद वो ध्यान में चले गए और 4 जुलाई 1902 को उन्होंने ध्यानावस्था में ही महासमाधि ले ली। वहीं कई लोगों का कहना है कि, दिमाग की रक्त वाहिका फट जाने के कारण उनकी मृत्यृ हुई। जिसके बाद बेलूर में मौजूद गंगा तट पर चंदन की चिता पर उनकी अंत्येष्टी की गयी। स्वामी विवेकानंद के शिष्यों ने उनकी मृत्यृ के बाद वहां पर एक मंदिर बनवाया है।

FAQ

Q : स्वामी विवेकानंद ने भारतीय लोगों के लिए क्या किया?

Ans : स्वामी विवेकानंद ने भारतीय लोगों की मदद के लिए कई सामाजिक कार्य किए।

Q : स्वामी विवेकानंद को क्या पढ़ना पसंद था?

Ans : स्वामी विवेकानंद को इतिहास और साहित्य पढ़ना पसंद था.

Q : स्वामी विवेकानंद के परिवार में कौन कौन थे?

Ans : स्वामी विवेकानंद के परिवार में माता-पिता और भाई बहन थे।

Q : क्या स्वामी विवेकानंद विवाहित थे?

Ans : जी नहीं, स्वामी विवेकानंद विवाहित नहीं थे।

Q : स्वामी विवेकानंद की मृत्यृ कब हुई?

Ans : स्वामी विवेकानंद की मृत्यृ 4 जुलाई 1902 को हुई।

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